Tuesday, October 26, 2010

टूटा पहिया

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मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ

लेकिन मुझे फेंको मत !

क्या जाने कब

इस दुरूह चक्रव्यूह में

अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता हुआ

कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर जाय !

अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी

बड़े-बड़े महारथी

अकेली निहत्थी आवाज़ को

अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें

तब मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया

उसके हाथों में

ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ !

मैं रथ का टूटा पहिया हूँ

लेकिन मुझे फेंको मत

इतिहासों की सामूहिक गति

सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने

सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले !

~धर्मवीर भारती

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